१. अल्लाह अज़वजलका इरशाद है के जो बंदा महेनत और कौशिक करनेके साथ मुज़से कम्याबीकी उम्मीद रखता है वोह मेरा महबूब बंदा है.
२. रोज़ी खुद बंदेकी तलाशमें रहती है नहीं के बंदा रोज़ी की तलाशमें.
३. जब लोग ज़कात अदा करना छोड़ देंगे तो अल्लाह अज़वजल आसमानसे बारिश बरसाना बंध कर देगा.
४. सखी बंदा अल्लाह अज़वजलके करीब है, लोगोके करीब है, जन्नतके करीब है और दोज़ख़से दूर है.
५. बखील (कंजूस) शख्स अल्लाह अज़वजलसे दूर है, लोगोसे दूर है और दोज़ख़से करीब है.
६. आबिद (परहेज़गार) बखील (कंजूस) से जाहिल सखी अल्लाह अज़वजलको प्यारा है.
७. मैयतको दफ़न करनेमे, कर्जकी अदायगीमे, बालिग लड़के-लड़कीकी शादी करनेमे, गुनाहसे तौबा करनेमे और महेमानके सामने खाना रखनेमे ताख़ीर (देर) नहीं करनी चाहिए.
८. कभी-कभी गफलत भरे अमलसे इन्सान गरीबी और मुफ़्लिसिमे मुब्तिला हो जाता है. (a) गुस्लखानेमे पिशाब करना (b) टूटी हुवी कंघी का इस्तेमाल करना (c) टूटे हुवे बर्तनमे खाना खाना (d) मगरिब और इसके दरमियान सोना (e) दाँतोंसे नाख़ून तराशना (f) रिस्तेदारोके साथ बदसुलूकी करना (g) आमदानीसे ज़यादह खर्च करना (h) महेमानोके आनेपर नाराज़गी महसूस करना, महेमानोको बोज समज़ना (i) उलटे पेरसे पाजामा, पेंट वगैरह पहनना शुरू करना।
९. जब दिमाग पर गुस्सा काबू पा लेता है तो इन्सानकी सोचनेकी ताकत खत्म हो जाती है.
१०. एक बार अल्लाह अज़वजलने हज़रत मूसा अलयहीस सलामसे फरमाया..(a) मैंने इलमको भूक-प्यास और सफरमे छुपा रखा है लेकिन लोग वतनमे खा-पीकर सुख-चैनमे तलाश करते है. (b) मैंने सुकून और आरामको जन्नतमे छुपा रखा है लेकिन लोग दुन्यामे तलाश करते है. (c) मैंने इज़्ज़तको इबादतमे छुपा रखा है लेकिन लोग बादशाहोके दरबार और बड़े लोगोकी चोखट पर तलाश करते है. (d) बुलंदीको मैंने आजिज़ी और इन्केसारी (नम्रता) में छुपा रखा है मगर लोग उसे तकब्बुर (घमंड) में तलाश करते है. (e) दोआऔकी कुबूलियत मेने हलाल खानेमे छुपा राखी है लेकिन लोग हराम रोज़ीमे तलाश करते है. (f) मालदारीको मैंने क़नाअत (सब्र) में छुपा राखी है लेकिन लोग उसे हिर्स (लालच) में तलाश करते है. .