१. बच्चा पैदा हो तब उसके दाए कानमे अज़ान और बाए कानमे इक़ामत कही जाए.
२. पैदाइस के सातवे दिन बच्चेके सरके बाल मुंडवा कर उस बालके वज़नके बराबर चाँदीका सदका करे और उस बच्चेका बेहतर दीनी नाम रखे. (हवाला:- तिर्मिज़ी शरीफ)
३. अल्लाह अज़वजल को “अब्दुल्लाह” और “अब्दुर्रहमान” नाम सबसे ज़यादह पसंदीदा है. (हवाला:- मुस्लिम शरीफ)
४. एक हदीश शरीफ में पैगम्बरोंके नामोमेसे कोई नाम चुनकर रखनेको फरमाया है. (हवाला:-अबुदावूद शरीफ)
५. सरकारे दोआलम सल्लल्लाहो अलयहे वसल्लमका इरशाद है के अक़ीक़ा और बच्चा दोनों साथ-साथ है, इसलिए बच्चेकी पैदाइशके सातवे दिन अक़ीक़ा करके बच्चेको तक़लीफ़ोसे मेहफ़ूज़ रखे.
६. अगर ताकत हो तो सातवे दिन अक़ीक़ा करना चाहिए. (हवाला:- तिर्मिज़ी/अबुदावूद शरीफ)
७. लड़का पैदा हुवा हो तो दो बकरे और लड़की हो तो एक बकरी की कुर्बानी की जाए. (हवाला:- अहमद)
८. लड़का पैदा हुवा हो तब भी अगर एक बकरेकी कुर्बानी करनेकी ताकत हो और एक बकरेकी क़ुरबानी करना चाहे तो कर सकते है. (हवाला:- अबुदावूद शरीफ)
९. सरकारे दोआलम सल्लल्लाहो अलयहे वसल्लमका इरशाद है के पांच चीज़े फ़ित्रतमे है. (a) खतना करना (b) दूटीसे नीचले हिस्सेके बाल साफ़ करना (c) मूछें कतरवाना (d) नाखून तरासना और (e) बगल के बाल दूर करना (हवाला:- बुखारी शरीफ)
१०. बच्चा बोलना शिखे तो सबसे पहले “ला-इलाहा-इल्लल्लाह-मुहम्मदुर-रसूलुल्लाह” बोलवानेकी कौशिक करनी चाहिए. कोई इंसान की मौतका वकत करीब हो तबभी यही अलफ़ाज़ की तलकीन करे.
११. बच्चेकी परवरिश ख़ुशी-ख़ुशी करनी चाहिए. सरकारे दोआलम सल्लल्लाहो अलयहे वसल्लम का इरशाद है के जो बंदा दो बच्चीओका बोज उठाए, बालिग़ होने तक उनकी अच्छी तरह परवरिश करे, उनको अच्छी दीनी तालीम दिलवाए, तो कयामत के दिन (अपनी दोनों उंगलिया मुबारक जमा करके दिखाते हुवे फरमाया के) इस तरह हम साथ होगे. (हवाला:- मुस्लिम शरीफ)
१२. अपनी औलाद को बेहतर तालीम-तरबियत दे, इस बातका ख़ास ख़याल रखे के बच्चा गली-गलोच, फिल्मे, गीत-संगीत,जूठ, ग़ीबतसे बचपनसे ही नफरत करता रहे. ऐसा अच्छा माहोल दिया जाए. बडोंका अदब-एहतराम, हमदर्दी, प्यार-मोहब्त जैसी अच्छी बातोंकी तालीम दी जाए.
१३. सरकारे दोआलम सल्लल्लाहो अलयहे वसल्लमका इरशाद है के बापकी तरफसे बेटेको बेहतर तालीम-तरबियत, अच्छे अखलाकसे बढ़कर कोई तोहफा नहीं है. (हवाला:- तिर्मिज़ी शरीफ)
१४. जवान बच्चेसे कोई भूल हो जाए तो प्यार-मोहब्बत से काम ले, सख्तीसे पेश न आए.
१५. अपनी औलाद को कोई तोहफा, बख्शीश या जो कुछ भी ख़रीदे तो सबके साथ इन्साफ करे, किसीको कम किसीको ज़यादह देकर गुनाहगार न हो. अगर बेटी हो तो उसका ख़ास ख्याल करे. (हवाला:- बुखारी/मुस्लिम शरीफ)